राम लला प्राण प्रतिष्ठा के पहले ही फूट फूटकर रो पड़े पीएम मोदी
आज पीएम आवास योजना के तहत देश की सबसे बड़ी सोसायटी का लोकार्पण हुआ है और मैं जाकर देखकर आया कि काश मुझे भी अपने बचपन में ऐसे घर में रहने का सौभाग्य मिला होता।'
एक तरफ जहां 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर भाषण के दौरान ही काफी भावुक हो गए। शुक्रवार को पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के लाभार्थियों से बात की। इस दौरान बचपन का जिक्र आते ही उन्होंने कुछ वक्त के लिए बीच में ही अपने भाषण को रोक दिया। इस बीच पीएम आवास योजना को लेकर उन्होंने कहा कि काश उन्हें भी बचपन में ऐसे घर में रहने का अवसर और सौभाग्य मिला होता।
राम लला के प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही रो पड़े पीएम मोदी.. https://t.co/JekzQd0oeq
— neeraj tiwari (@neeraj693) January 19, 2024
पीएम मोदी ने भाषण के दौरान कहा कि, ‘मुझे अत्यंत प्रशंसा है कि सोलापुर के हजारों गरीबों और पिछड़ों के लिए, हजारों मजदूर साथियों के लिए हमने जो प्राण और संकल्प लिया था, वो आज साकार हो रहा है। आज पीएम आवास योजना के तहत देश की सबसे बड़ी सोसायटी का लोकार्पण हुआ है और मैं जाकर देखकर आया कि काश मुझे भी अपने बचपन में ऐसे घर में रहने का सौभाग्य मिला होता।’
इतना कहकर पीएम मोदी ने अचानक कुछ देर के लिए अपने भाषण को रोक दिया। इसके बाद उन्होंने भावुक होकर कहा, ‘ये चीजें देखता हूं तो मन को इतना संतोष होता है, ये हजारों गरीब परिवारों के सपने जब साकार होते हैं, तो उनके आशीर्वाद मेरी सबसे बड़ी पूंजी और धन होते हैं। जब मैं इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने आया था, तब मैंने आपको वचन दिया था कि आपके घरों की चाबी देने भी मैं खुद आऊंगा।’
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘दो प्रकार के विचार रहते हैं- एक राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए लोगों को भड़काते रहो। हमारा मार्ग है… आत्मनिर्भर श्रमिक, गरीबों का कल्याण,श्रमिक का सम्मान।
इस दौरान पीएम ने महाराष्ट्र की पुरानी सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में लंबे समय तक गरीबी हटाओ के नारे लगते रहे लेकिन गरीबी हटी नहीं बल्कि और बढ़ी। गरीबों के नाम पर योजनाएं तो बनाई जाती थीं, लेकिन उनका लाभ गरीब और दबे कुचले लोगों को नहीं मिलता था। उनके हक का पैसा बिचौलिये लूट खसोट जाते थे। पहले की सरकारों की नीति, नीयत और निष्ठा कठघरे में थी।’