राहुल के पंजे ने रचा इतिहास चकनाचूर हो गया मोदी का घमंड!
राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी को पहले ही चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने से पहले ही सरकार में मंत्री पद पाने वाले सुरेंद्र पाल सिंह को विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह के हाथों करारी हार मिली है. इस हार के बाद ही सुरेंद्र पाल सिंह टीटी ने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
- राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी को पहले ही चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने से पहले ही सरकार में मंत्री पद पाने वाले सुरेंद्र पाल सिंह को विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह के हाथों करारी हार मिली है. इस हार के बाद ही सुरेंद्र पाल सिंह टीटी ने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
दरअसल,मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा अपनी पहली अग्निपरीक्षा में फेल हो गए हैं। उनके स्वतंत्र प्रभार वाले कृषि विपणन राज्यमंत्री सुरेंद्र पाल टीटी श्रीगंगानगर के करणपुर से विधानसभा का चुनाव 12570 वोटों से करारी शिकस्त झेली है।वह भी तब जबकि भजनलाल को राजस्थान में मुख्यमंत्री बने अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है। टीटी को जिताना भाजपा के प्रतिष्ठा का सवाल इसलिए भी रहा क्योंकि पहली बार बीजेपी ने किसी उम्मीदवार को चुनाव जीतने से पहले मंत्री बनाया था ताकि उनकी जीत सुनिश्चित की जा सके। राज्यमंत्री सुरेंद्र पाल टीटी को जिताने के लिए न केवल नए नवेले मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने खुद वहां पहुंचकर रैली और जनसभाएं की बल्कि पानी और बिजली की समस्या से लेकर तमाम परेशानियों के समाधान के आश्वासन भी दिए। उनके साथ ही प्रदेशाध्य्क्ष डॉ. सी. पी. जोशी भी जनसभाएं करके आए। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ लगातार टीटी का चुनाव संभाल रहे थे बल्कि यूं कहें कि टीटी को चुनाव जिताने का जिम्मा उन पर ही था। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया भी करणपुर में पूरी जान-जान लगाए हुए थे।
गौरतलब है कि अब सवाल यह है कि क्या नैतिकता के नाते कृषि विपणन राज्यमंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे या 6 महीने तक सत्ता सुख भोगेंगे क्योंकि संवैधानिक रूप से बिना चुनाव जीते किसी को भी मंत्रिमंडल में 6 महीने से ज्यादा समय नहीं रखा जा सकता है। हो सकता है लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा खुद ही उनसे इस्तीफा मांग लें।