मुगलों का हरम अक्सर चर्चा में आता है। अकबर (Akbar) के हरम में लगभग पांच हजार महिलाएं थीं। इसमें करीब 300 उसकी बीवियां और रखैलें थीं। मुगल हरम में बादशाह की महिला रिश्तेदार और उनके बच्चे भी रहते थे। मुगल हरम को कड़ी सुरक्षा दी गई थी ।
हरम में किसी भी गैर-पुरुष को घुसने की अनुमति नहीं थी। मुगल हरम की सुरक्षा 3 लेयर्स से की जाती थी । सुरक्षित क्षेत्र के अंदर किसी भी पुरुष सैनिक को तैनात नहीं किया जाता। मुगल हरम में दासियों को बहुत कुछ करना पड़ता था. आइए इसके बारे में जानते हैं।
मुगल हरम का शासन
1. मुगल हरम में महिलाओं का सीक्रेट नाम रखा जाता था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि हरम का राज वह से बहार ना जा सके। गुलबदन, कचनार और गुल अफसाना काफी प्रसिद्ध नाम थे। लेकिन इनमें से अधिकांश नाम तो असली नहीं थे। यह भी कहा जाता था कि हरम साजिशों का भी गढ़ था, और हरम की महिलाएं बादशाह को बदले हुए नाम से बताती रहती थीं और उनके करीब आने की कोशिश करती थीं।
2. बादशाहों और उनकी बेगमों के लिए मुगल हरम में अलग किचन था। बादशाह हर दिन अपनी बेगमों के साथ खाना खाता था। पर कोई भी खाने में जहर न मिले, इसके लिए कई उपाय किए गए थे। उनके पास एक बर्तन था जिसका रंग खाने में जहर होने पर बदल जाता था। बादशाह के खाना खाने से पहले उस खाने को चखा जाता था।
3. बादशाह मुगल हरम के मामले में मर्द सुरक्षाकर्मियों पर विश्वास नहीं करता था। इसलिए हरम की सुरक्षा करना किन्नरों का काम था। उन्हें बादशाह ने हरम सारा नाम दिया था। किन्नर हरम के सारे इंतज़ाम करते थे। किन्नर जासूसी से लेकर सुरक्षा तक सब कुछ करते थे।
4. मुगल हरम में दासियों का महत्वपूर्ण योगदान था। इन्हीं के कंधों पर घरेलू कामों के अलावा बच्चों का ख्याल रखना था। अकबर की देखभाल करने वाली महम अंगा को बहुत सम्मान दिया जाता था। पहले, महम अंगा हमीदा बानो बेगम की सेवा में थीं। शाही परिवार और बेगमों ने कुछ नौकरानियों को बहुत सम्मान दिया था। वे बेगमों के साथ हमेशा रहती थीं और उनका ख्याल रखती थीं।